कार्बन मुक्त भारत के लिए सूर्य और पवन पुत्र की पूजा अर्थात पवन और सौर ऊर्जा का अति महत्त्व

दिल्ली ही नहीं सम्पूर्ण भारत के ऊर्जा क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिए पवन और सौर ऊर्जा को महत्त्व देना आवश्यक। सौर ऊर्जा जैसे ही विंड टरबाइन का भी महत्व भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए महत्त्व पूर्ण है। ऊर्जा प्रणाली में सौर और ऑन- और ऑफशोर पवन ऊर्जा को एकीकृत करने की भारत की क्षमता की विस्तृत चर्चा एक रिसर्च पेपर में की गई है।

जर्मनी में कोयले और पेट्रोल की जगह सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जर्मनी ने पिछले सालों में जीवाश्म उर्जा पर निर्भरता कम करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने का फैसला किया और इसके लिए वहां लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।

CR2 सौर ऊर्जा जैसे ही विंड टरबाइन का भी महत्व भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए महत्त्व पूर्ण है। अपनी ऊर्जा प्रणाली में सौर और ऑन- और ऑफशोर पवन ऊर्जा को एकीकृत करने की भारत की क्षमता की चर्चा यहाँ की गई है। सौर ऊर्जा जैसे ही विंड टरबाइन का भी महत्व भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए महत्त्व पूर्ण  है। इसके लिए  करने के लिए जर्मनी का अनुकरण करना आवश्यक है। जर्मनी में कोयले और पेट्रोल की जगह सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जर्मनी ने पिछले सालों में जीवाश्म उर्जा पर निर्भरता कम करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने का फैसला किया और इसके लिए वहां लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा जीवाश्म-आधारित विकल्पों का उपयोग करके आपूर्ति की जा सकने वाली ऊर्जा के साथ सस्ती या कम से कम प्रतिस्पर्धी बिजली का स्रोत प्रदान कर सकती है।

क्या होती है नवीकरणीय ऊर्जा?

यह ऐसी ऊर्जा है जो प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है। इसमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन, ज्वार, जल और बायोमास के विभिन्न प्रकारों को शामिल किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि यह कभी भी समाप्त नहीं हो सकती है और इसे लगातार नवीनीकृत किया जाता है।

नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों (जो कि दुनिया के काफी सीमित क्षेत्र में मौजूद हैं) की अपेक्षा काफी विस्तृत भू-भाग में फैले हुए हैं और ये सभी देशों को काफी आसानी हो उपलब्ध हो सकते हैं।

ये न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इनके साथ कई प्रकार के आर्थिक लाभ भी जुड़े होते हैं।

पवन और सौर ऊर्जा द्वारा देश की कोयले पर वर्तमान निर्भरता को कम करना  आवश्यक

सस्ती या कम से कम प्रतिस्पर्धी बिजली का स्रोत: भविष्य की भारतीय बिजली अर्थव्यवस्था के विकल्पों पर विचार करता है जिसमें नवीकरणीय, पवन और सौर, देश की कोयले पर वर्तमान निर्भरता को कम करते हुए अनुमानित 2040 बिजली की मांग का 80% पूरा कर सकते हैं। 

India’s potential for integrating solar and on- and offshore wind power into its energy system

भारत में बिजली उत्पादन की क्षमता 2018 में 344 GW थी, जिसमें 197 GW (57%), हाइड्रो 49.8 GW (14%), विंड 34.0 GW (10%), गैस 24.9 GW (7%) और कोयले की हिस्सेदारी थी। सौर 21.7 GW (6%) बायोमास 8.8 GW (3%) और परमाणु 6.8 GW (2%)

NITI Aayog (भारत सरकार के लिए एक नीति थिंक टैंक) ने 2022 के लिए 175 GW अक्षय क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से 160 GW पवन या सौर 2 के रूप में होगा । इन विचारों का अनुसरण करते हुए, भारत के ऊर्जा क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिए व्यवहार्य अक्षय मार्गों का आकलन एक महत्वपूर्ण और तत्काल चुनौती पेश करता है। भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद राष्ट्रीय एकता के साथ साथ भारत के आर्थिक तंत्र को भी मजबूती प्रदान करता है।

कार्बन मुक्त भारत के लिए सूर्य और पवन पुत्र की पूजा अर्थात पवन और सौर ऊर्जा का अति महत्त्व है।

छठ सूर्य उपासना ही नहीं आमतौर पर भारत में दिन सूर्य नमस्कार surynamaskar के साथ शुरु होता है। इसमें लोग सूर्य को जल चढ़ाते हैं और मंत्र पढ़कर प्रार्थना करते हैं। भारतीय लोग प्रकृति की पूजा Nature Worship करते हैं और यह इस संस्कृति की अनूठी बात है। 

कोणार्क मोढेरा सूर्य मंदिर और सूर्य नमस्कार भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद  के प्रतीक, प्रधानमंत्री ने मोढेरा को भारत का पहला 24×7 सौर ऊर्जा संचालित गांव भी घोषित किया।         

स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव मोढेरा को भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित गांव घोषित करेंगे , राज्य सरकार ने कहा। मोढेरा अपने सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है । ट्वीट्स की एक श्रृंखला में जानकारी साझा करने वाली गुजरात सरकार के अनुसार, गाँव के घरों में 1000 से अधिक सौर पैनल लगाए गए हैं, जिससे ग्रामीणों के लिए चौबीसों घंटे बिजली पैदा होती है। गौरतलब है कि उन्हें जीरो कॉस्ट पर सोलर बिजली मुहैया कराई जाएगी।

वायु जीवन के लिए मूलभूत घटक है। यह Golden egg shell में प्रकट होने के समय भगवान श्री हरि विष्णु के साथ विकसित हुआ था। इसका नियंत्रण पवन-वायु देव द्वारा किया जाता है। पवन देव श्री हनुमान जी महाराज और भीम सेन के पिता हैं। केसरी नंदन होते हुए भी वायु पुत्र क्यों कहलाते हैं हनुमान जी: पवन वेग जैसी शक्ति युक्त होने से सूर्य के साथ उनके रथ के समानांतर चलते-चलते अनन्य विद्याओं एवं ज्ञान की प्राप्ति करके अंजनी पुत्र पवन पुत्र हनुमान कहलाए। 

सौर ऊर्जा जैसे ही विंड टरबाइन का भी महत्व भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए महत्त्व पूर्ण है। 

वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो जर्मनी में कोयले और पेट्रोल की जगह सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जर्मनी ने पिछले सालों में जीवाश्म उर्जा पर निर्भरता कम करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने का फैसला किया और इसके लिए वहां लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।

वर्तमान में पवन ऊर्जा क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। खासकर चीन और अमेरिका ने पवन ऊर्जा से संबंधित अपनी शक्ति दोगुनी कर ली है। वैश्विक विद्युत उत्पादन के अक्षय ऊर्जा स्रोतों में पवन ऊर्जा का भाग बढ़ रहा है। हाल ही में इंटरनेशनल एनर्जी एसोसिएशन ने बताया है कि अपतटीय पवन ऊर्जा की संभावना आन्तरिक पवन ऊर्जा से कहीं अधिक है। इस क्षेत्र में निवेश की आकर्षक संभावनाएँ हैं।

प्राचीन काल में पवन ऊर्जा का उपयोग नावों और जलपोतों को चलाने में किया जाता था। फिर इस ऊर्जा का उपयोग पनचक्कियों में पाइपों द्वारा पानी को उठाने में किया जाने लगा। अब वैज्ञानिकों ने पवन वेग से टरबाइनों को चला कर विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में नई क्रांति ला दी है। उम्मीद है कि पवन टरबाइनों के जरिए अब पूरे विश्व की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।

Gautam Group ने बनाया स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से ऊंचा विंड टर्बाइन