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  • शस्त्र-शास्त्र: महात्मा गांधी के विचारों में नीहित है यूक्रेन-रूस युद्ध के अंत और जलवायु संकट का जवाब

    शस्त्र-शास्त्र: महात्मा गांधी के विचारों में नीहित है यूक्रेन-रूस युद्ध के अंत और जलवायु संकट का जवाब

    सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के उद्देश्य की पूर्ति के लिए शस्त्र और शास्त्र  दोनों चाहिए

    9 दिसंबर, 2021 को CDS Gen Bipin Rawatऔर अन्य को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए ‘Veer Vanakkam’, Bharat Mata ki Jai’ के नारों से गूंज उठी थी। तमिलनाडु के लोगों पर बहुत गर्व है। महान आत्मा के लिए आपकी भावनाएं राजनीतिक भाषणों और अंतर्राष्ट्रीय प्रचार से बहुत परे हैं…

    तमिलनाडु: स्थानीय लोगों ने सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी और अन्य सैनिक अधिकारियों के पार्थिव शरीर को ले जाने वाली एम्बुलेंस पर फूलों की पंखुड़ियों की बौछार की, जो कुन्नूर हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए, नीलगिरी जिले के मद्रास रेजिमेंटल सेंटर से सुलूर एयरबेस के लिए रवाना हुए।एक राष्ट्रीय चेतना राष्ट्रीय पहचान की एक साझा भावना और एक साझा समझ है कि एक जन समूह एक सामान्य जातीय/भाषाई/सांस्कृतिक पृष्ठभूमि साझा करता है। ऐतिहासिक रूप से, राष्ट्रीय चेतना का उदय किसी राष्ट्र के निर्माण की दिशा में पहला कदम रहा है।

    दीनदयाल उपाध्याय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचारक रहे हैं। चाणक्य नीति अध्याय 7  के कुछ ऐसे श्लोकों पर विचार करने पर हम समझ सकते हैं कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के उद्देश्य की पूर्ति के लिए शस्त्र और शास्त्र  दोनों की आवश्यकताहोती है

    भगवान श्री कृष्ण ने कहा था, एक हाथ में शस्त्र होगा और दूसरे हाथ में शास्त्र शास्त्र– लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए शस्त्र- दुष्टों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए – मुख्यमंत्री #YogiAdityanath

    Feb 04, 2022, 07:23 नामांकन के साथ दाखिल अपने हलफनामे में मुख्यमंत्री @myogiAdityanath ने उल्लेख किया है कि उनके खिलाफ एक भी आपराधिक मामला नहीं है. योगी आदित्यनाथ के पास दो हथियार हैं, जिनमें एक लाख रुपये की रिवॉल्वर और 80,000 रुपये की राइफल शामिल है. उनकी जमा पूंजी में दिल्ली में एक खाते में 35.24 लाख रुपये शामिल हैं. उनके गोरखपुर और लखनऊ में भी बैंक खाते हैं. योगी आदित्यनाथ के कान के छल्ले 20 ग्राम सोने से बने हैं और उनके पास रुद्राक्ष के साथ सोने की एक चेन है, जिसकी कीमत 12,000 रुपये है. मुख्यमंत्री के पास कोई अचल संपत्ति नहीं है.

    चाणक्य नीति: Free Download PDF of Chanakya Niti in Hindi

    हस्ती अंकुशमात्रेण वाजी हस्तेन ताड्यते।
    शृंगीलकुटहस्तेन खड्गहस्तेन दुर्जनः॥

    भावार्थ हाथी अंकुश से, घोड़ा चाबुक से, बैल आदि सींग वाले जानवर डण्डे से बस में रहते हैं, लेकिन बुरे लोगों को बस में करने के लिए तो कई बार तलवार ही हाथ में लेनी पड़ती है।

    व्याख्या – शस्त्र और शास्त्र दोनों ही आवश्यक हैं। भारत के पराभूत होने का एक कारण यह भी है कि हमने शास्त्र को तो बहुत अधिक महत्व दिया, लेकिन शस्त्र बिल्कुल ही छोड़ दिए। कहते भी तो हैं कि “शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शास्त्रचर्चा प्रवर्तते” अर्थात् शस्त्र से रक्षित राष्ट्र में शास्त्र-चर्चा होती है। बाहुबल के अभाव में मनोबल पराभूत हो ही जाता है। बहुत से लोग शान्ति और अध्यात्म को न समझते हैं, न ही समझ सकते हैं। ऐसे में या तो स्वयं दुर्जनों के हाथों दलन को स्वीकार करें या मारे जाएँ अथवा तेजस्विता का वरण करें और खड्ग से धर्म की रक्षा करें। हाँ, यह सदैव ध्यान में रहे कि खड्ग का उपयोग धर्म व राष्ट्र की रक्षा के लिए हो, न कि निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए। अतः प्रत्येक व्यक्ति को मनोबल और विद्याबल के साथ बाहुबल को बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए।

    महात्मा गांधी चाहते थे कि गांवों का विकास हो. साथ ही वे चाहते थे कि ग्रामीण जीवन के मूल्यों का संरक्षण किया जाए।

    दीनदयाल उपाध्याय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचारक रहे हैं। चाणक्य नीति अध्याय 7  के कुछ ऐसे श्लोकों पर विचार करने पर हम समझ सकते हैं कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के उद्देश्य की पूर्ति के लिए शस्त्र और शास्त्र  दोनों की आवश्यकताहोती है

    हस्ती अंकुशमात्रेण वाजी हस्तेन ताड्यते।
    शृंगीलकुटहस्तेन खड्गहस्तेन दुर्जनः॥

    भावार्थ हाथी अंकुश से, घोड़ा चाबुक से, बैल आदि सींग वाले जानवर डण्डे से बस में रहते हैं, लेकिन बुरे लोगों को बस में करने के लिए तो कई बार तलवार ही हाथ में लेनी पड़ती है।

    व्याख्या शस्त्र और शास्त्र दोनों ही आवश्यक हैं। भारत के पराभूत होने का एक कारण यह भी है कि हमने शास्त्र को तो बहुत अधिक महत्व दिया, लेकिन शस्त्र बिल्कुल ही छोड़ दिए। कहते भी तो हैं कि “शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शास्त्रचर्चा प्रवर्तते” अर्थात् शस्त्र से रक्षित राष्ट्र में शास्त्र-चर्चा होती है। बाहुबल के अभाव में मनोबल पराभूत हो ही जाता है। बहुत से लोग शान्ति और अध्यात्म को न समझते हैं, न ही समझ सकते हैं। ऐसे में या तो स्वयं दुर्जनों के हाथों दलन को स्वीकार करें या मारे जाएँ अथवा तेजस्विता का वरण करें और खड्ग से धर्म की रक्षा करें। हाँ, यह सदैव ध्यान में रहे कि खड्ग का उपयोग धर्म व राष्ट्र की रक्षा के लिए हो, न कि निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए। अतः प्रत्येक व्यक्ति को मनोबल और विद्याबल के साथ बाहुबल को बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए।

    Tags: Cultural Nationalism, Shastra-Shastra needed, PM Narendra Modi in Tamil Nadu, Veer Vanakkam, CDS Gen Bipin Rawat, Deen Dayal Upadhyay, Yogi Aditya Nath Tweet, Chanakya Niti, Russia-Ukraine War Ending, Can Do, Cimate Crisis, Mahatma Gandhi’ Ideas, Atmnirbhar Bharat