तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने पहली बार मंदिर की कुल संपत्ति की घोषणा की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शनिवार को श्वेत पत्र जारी किया गया है, जिसमें बताया गया कि मंदिर का करीब 5,300 करोड़ का 10.3 टन सोना और 15,938 करोड़ नकद राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा है। मंदिर की कुल संपत्ति 2.26 लाख करोड़ की है।
तिरुपति के विश्व प्रसिद्ध भगवान वेंकटेश्वर मंदिर की कुल संपत्ति 2.5 लाख करोड़ रुपये (लगभग 30 बिलियन अमरीकी डॉलर) से अधिक घोषित की गई है. मंदिर की ये संपत्ति किसी भी आईटी सेवा फर्म विप्रो (Wipro),खाद्य और पेय कंपनी नेस्ले (Nestle)और राज्य के स्वामित्व वाली तेल दिग्गज कंपनी ओएनजीसी (ONGC)और आईओसी (IOC) के बाजार पूंजी से भी अधिक है।
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा कारोबारी कीमत पर तिरुपति मंदिर की कुल संपत्ति कई ब्लू-चिप भारतीय कंपनियों से ज्यादा है. शुक्रवार को कारोबार के अंत में बेंगलुरु की विप्रो का मार्केट कैप 2.14 लाख करोड़ रुपये था, जबकि अल्ट्राटेक सीमेंट का मार्केट कैप 1.99 लाख करोड़ रुपये था. राज्य के स्वामित्व वाले तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) और Indian Oil Corporation का मूल्य भी मंदिर से कम निकला. इसके अलावा बिजली की दिग्गज कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड, ऑटो निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स, दुनिया का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक कोल इंडिया लिमिटेड आदि भी इससे पीछे हैं।
Rashtriya Thermal Power Corporation Ltd की बाजार पूंजी इस मंदिर की संपत्ति से कम है. Mahindra & Mahindra और Tata Motors तथा विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी Coal India Ltd, खनन कंपनी Vedanta, रियल एस्टेट कंपनी DLF तथा कई अन्य कंपनियां भी सूची में शामिल हैं. सिर्फ दो दर्जन कंपनियों की बाजार पूंजी मंदिर के न्यास की संपत्ति से अधिक है। इनमें Reliance Ind Ltd, Tata Consultancy Services, HDFC Bank, Infosys व अन्य शामिल हैं।
10 रहस्य: वैज्ञानिक भी नहीं उठा पाए पर्दा
कहा जाता है भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर बाल लगे हैं जो असली हैं। यह बाल कभी भी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं। मान्यता है कि यहां भगवान खुद विराजमान हैं।
यहां जाने वाले बताते हैं कि भगवान वेंकटेश की मूर्ति पर कान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है।
मंदिर में मुख्य द्वार पर दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी है। इस छड़ी के बारे में कहा जाता है कि बाल्यावस्था में इस छड़ी से ही भगवान बालाजी की पिटाई की।
भगवान बालाजी के मंदिर में एक दीया सदैव जलता रहता है। इस दीए में न ही कभी तेल डाला जाता है और न ही कभी घी।
भगवान बालाजी के हृदय पर मां लक्ष्मी विराजमान रहती हैं। माता की मौजूदगी का पता तब चलता है जब हर गुरुवार को बालाजी का पूरा श्रृंगार उतारकर उन्हें
भगवान बालाजी के मंदिर से 23 किमी दूर एक गांव है, और यहां बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित है। यहां पर लोग बहुत ही नियम और संयम के साथ रहते हैं। मान्यता है कि बालाजी को चढ़ाने के लिए फल, फूल, दूध, दही और घी सब यहीं से आते हैं। इस गांव में महिलाएं सिले हुए कपड़े धारण नहीं करती हैं।
वैसे तो भगवान बालाजी की प्रतिमा को एक विशेष प्रकार के चिकने पत्थर से बनी है, मगर यह पूरी तरह से जीवंत लगती है। यहां मंदिर के वातावरण को
भगवान की प्रतिमा को प्रतिदिन नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया जाता है। मान्यता है कि बालाजी में ही माता लक्ष्मी का रूप समाहित है। इस कारण
भगवान बालाजी के मंदिर से 23 किमी दूर एक गांव है, और यहां बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित है। यहां पर लोग बहुत ही नियम और संयम के साथ रहते हैं। मान्यता है कि बालाजी को चढ़ाने के लिए फल, फूल, दूध, दही और घी सब यहीं से आते हैं। इस गांव में महिलाएं सिले हुए कपड़े धारण नहीं करती हैं।
मूर्ति को आता है पसीना भी
वैसे तो भगवान बालाजी की प्रतिमा को एक विशेष प्रकार के चिकने पत्थर से
जब मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे तो ऐसा लगेगा कि भगवान श्री वेंकेटेश्वर की मूर्ति गर्भ गृह के मध्य में है। लेकिन आप जैसे ही गर्भगृह के बाहर आएंगे तो चौंक जाएंगे क्योंकि बाहर आकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान की प्रतिमा दाहिनी तरफ स्थित है। अब यह सिर्फ भ्रम है या कोई भगवान का चमत्कार इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है।
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भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए पवन विंड टरबाइन महत्त्व पूर्ण है
अडानी ग्रुप ने गुजरात के मुंद्रा में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue Of Unity) से भी ऊंची विंड टर्बाइन (Wind Turbine) लगाई है। २०० मीटर ४० मंजिल ईमारत से भी ऊँची इस एक विंड टर्बाइन से 4000 घरों में बिजली पहुंचाई जा सकती है। अडानी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने गुरुवार को बताया है कि देश के सबसे बड़े विंड टर्बाइन जनरेटर को गुजरात के मुंद्रा में लगाया गया
जर्मनी जैसे ही विंड टरबाइन का भी महत्व भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए महत्त्व पूर्ण है। जर्मनी में कोयले और पेट्रोल की जगह सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जर्मनी ने पिछले सालों में जीवाश्म उर्जा पर निर्भरता कम करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने का फैसला किया और इसके लिए वहां लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। ऊर्जा प्रणाली में सौर और ऑन- और ऑफशोर पवन ऊर्जा को एकीकृत करने की भारत की क्षमता की विस्तृत चर्चा एक रिसर्च पेपर में की गई है।
पवन टर्बाइन एक रोटरी उपकरण है, जो हवा से ऊर्जा को खींचता है। अगर यांत्रिक ऊर्जा का इस्तेमाल मशीनरी द्वारा सीधे होता है, जैसा कि पानी पंप करने लिए, इमारती लकड़ी काटने के लिए या पत्थर तोड़ने के लिए होता है, तो वह मशीनपवन-चक्की कहलाती है।
पवन टर्बाइन हवा की शक्ति को उस बिजली में बदल सकते हैं जिसका उपयोग हम सभी अपने घरों और व्यवसायों को बिजली देने के लिए करते हैं ।
एक अच्छी गुणवत्ता वाली, आधुनिक पवन टरबाइन आम तौर पर 20 वर्षों तक चलती है, हालांकि इसे पर्यावरणीय कारकों और सही रखरखाव प्रक्रियाओं के आधार पर 25 साल या उससे अधिक समय तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, संरचना की उम्र के रूप में रखरखाव की लागत में वृद्धि होगी।
पवन ऊर्जा के फायदे और नुकसान क्या हैं?
पवन ऊर्जा से बिजली पैदा करने से हमें जीवाश्म ईंधन जलाने की आवश्यकता कम हो जाती है। यह न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करता है बल्कि पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों की घटती मात्रा को बचाने में भी मदद करता है। जिससे कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के भंडार लंबे समय तक रहेंगे।
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पवन ऊर्जा पैदा करने वाला चीन दुनिया का सबसे बड़ा देश है. वह अपनी क्षमता में और विस्तार करने की योजना बना रहा है.
गुजरात के कच्छ का लाम्बा एशिया का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा संयंत्र है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मार्च 2010 के अंत तक इसकी पवनऊर्जा उत्पादन क्षमता 4889 मेगावाट हो चुकी थी। पवनऊर्जा का यह केंद्र तमिलनाडु के अरलवाईमोड़ी के पास पुप्पंदल गाँव में स्थित है।
1,600MW जैसलमेर विंड पार्क भारत का सबसे बड़ा विंड फार्म है। सुजलॉन एनर्जी द्वारा विकसित, इस परियोजना में भारत के राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित पवन खेतों का एक समूह है।
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दिल्ली ही नहीं सम्पूर्ण भारत के ऊर्जा क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिए पवन और सौर ऊर्जा को महत्त्व देना आवश्यक। सौर ऊर्जा जैसे ही विंड टरबाइन का भी महत्व भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए महत्त्व पूर्ण है। ऊर्जा प्रणाली में सौर और ऑन- और ऑफशोर पवन ऊर्जा को एकीकृत करने की भारत की क्षमता की विस्तृत चर्चा एक रिसर्च पेपर में की गई है।
जर्मनी में कोयले और पेट्रोल की जगह सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जर्मनी ने पिछले सालों में जीवाश्म उर्जा पर निर्भरता कम करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने का फैसला किया और इसके लिए वहां लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
CR2सौर ऊर्जा जैसे ही विंड टरबाइन का भी महत्व भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए महत्त्व पूर्ण है। अपनी ऊर्जा प्रणाली में सौर और ऑन- और ऑफशोर पवन ऊर्जा को एकीकृत करने की भारत की क्षमता की चर्चा यहाँ की गई है। सौर ऊर्जा जैसे ही विंड टरबाइन का भी महत्व भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए महत्त्व पूर्ण है। इसके लिए करने के लिए जर्मनी का अनुकरण करना आवश्यक है। जर्मनी में कोयले और पेट्रोल की जगह सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जर्मनी ने पिछले सालों में जीवाश्म उर्जा पर निर्भरता कम करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने का फैसला किया और इसके लिए वहां लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा जीवाश्म-आधारित विकल्पों का उपयोग करके आपूर्ति की जा सकने वाली ऊर्जा के साथ सस्ती या कम से कम प्रतिस्पर्धी बिजली का स्रोत प्रदान कर सकती है।
क्याहोतीहैनवीकरणीयऊर्जा?
यह ऐसी ऊर्जा है जो प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है। इसमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन, ज्वार, जल और बायोमास के विभिन्न प्रकारों को शामिल किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि यह कभी भी समाप्त नहीं हो सकती है और इसे लगातार नवीनीकृत किया जाता है।
नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों (जो कि दुनिया के काफी सीमित क्षेत्र में मौजूद हैं) की अपेक्षा काफी विस्तृत भू-भाग में फैले हुए हैं और ये सभी देशों को काफी आसानी हो उपलब्ध हो सकते हैं।
ये न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इनके साथ कई प्रकार के आर्थिक लाभ भी जुड़े होते हैं।
पवन और सौर ऊर्जा द्वारा देश की कोयले पर वर्तमान निर्भरता को कम करना आवश्यक
सस्ती या कम से कम प्रतिस्पर्धी बिजली का स्रोत: भविष्य की भारतीय बिजली अर्थव्यवस्था के विकल्पों पर विचार करता है जिसमें नवीकरणीय, पवन और सौर, देश की कोयले पर वर्तमान निर्भरता को कम करते हुए अनुमानित 2040 बिजली की मांग का 80% पूरा कर सकते हैं।
India’s potential for integrating solar and on- and offshore wind power into its energy system
भारत में बिजली उत्पादन की क्षमता 2018 में 344 GW थी, जिसमें 197 GW (57%), हाइड्रो 49.8 GW (14%), विंड 34.0 GW (10%), गैस 24.9 GW (7%) और कोयले की हिस्सेदारी थी। सौर 21.7 GW (6%) बायोमास 8.8 GW (3%) और परमाणु 6.8 GW (2%)
NITI Aayog (भारत सरकार के लिए एक नीति थिंक टैंक) ने 2022 के लिए 175 GW अक्षय क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से 160 GW पवन या सौर 2 के रूप में होगा । इन विचारों का अनुसरण करते हुए, भारत के ऊर्जा क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिए व्यवहार्य अक्षय मार्गों का आकलन एक महत्वपूर्ण और तत्काल चुनौती पेश करता है। भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद राष्ट्रीय एकता के साथ साथ भारत के आर्थिक तंत्र को भी मजबूती प्रदान करता है।
कार्बन मुक्त भारत के लिए सूर्य और पवन पुत्र की पूजा अर्थात पवन और सौर ऊर्जा का अति महत्त्व है।
छठ सूर्य उपासना ही नहीं आमतौर पर भारत में दिन सूर्य नमस्कार surynamaskar के साथ शुरु होता है। इसमें लोग सूर्य को जल चढ़ाते हैं और मंत्र पढ़कर प्रार्थना करते हैं। भारतीय लोग प्रकृति की पूजा Nature Worship करते हैं और यह इस संस्कृति की अनूठी बात है।
स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव मोढेरा को भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित गांव घोषित करेंगे , राज्य सरकार ने कहा। मोढेरा अपने सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है । ट्वीट्स की एक श्रृंखला में जानकारी साझा करने वाली गुजरात सरकार के अनुसार, गाँव के घरों में 1000 से अधिक सौर पैनल लगाए गए हैं, जिससे ग्रामीणों के लिए चौबीसों घंटे बिजली पैदा होती है। गौरतलब है कि उन्हें जीरो कॉस्ट पर सोलर बिजली मुहैया कराई जाएगी।
वायु जीवन के लिए मूलभूत घटक है। यह Golden egg shell में प्रकट होने के समय भगवान श्री हरि विष्णु के साथ विकसित हुआ था। इसका नियंत्रण पवन-वायु देव द्वारा किया जाता है। पवन देव श्री हनुमान जी महाराज और भीम सेन के पिता हैं। केसरी नंदन होते हुए भी वायु पुत्र क्यों कहलाते हैं हनुमान जी: पवन वेग जैसी शक्ति युक्त होने से सूर्य के साथ उनके रथ के समानांतर चलते-चलते अनन्य विद्याओं एवं ज्ञान की प्राप्ति करके अंजनी पुत्र पवन पुत्र हनुमान कहलाए।
सौर ऊर्जा जैसे ही विंड टरबाइन का भी महत्व भारत के आर्थिक तंत्र और पर्यारण के लिए महत्त्व पूर्ण है।
वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो जर्मनी में कोयले और पेट्रोल की जगह सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जर्मनी ने पिछले सालों में जीवाश्म उर्जा पर निर्भरता कम करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने का फैसला किया और इसके लिए वहां लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
वर्तमान में पवन ऊर्जा क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। खासकर चीन और अमेरिका ने पवन ऊर्जा से संबंधित अपनी शक्ति दोगुनी कर ली है। वैश्विक विद्युत उत्पादन के अक्षय ऊर्जा स्रोतों में पवन ऊर्जा का भाग बढ़ रहा है। हाल ही में इंटरनेशनल एनर्जी एसोसिएशन ने बताया है कि अपतटीय पवन ऊर्जा की संभावना आन्तरिक पवन ऊर्जा से कहीं अधिक है। इस क्षेत्र में निवेश की आकर्षक संभावनाएँ हैं।
प्राचीन काल में पवन ऊर्जा का उपयोग नावों और जलपोतों को चलाने में किया जाता था। फिर इस ऊर्जा का उपयोग पनचक्कियों में पाइपों द्वारा पानी को उठाने में किया जाने लगा। अब वैज्ञानिकों ने पवन वेग से टरबाइनों को चला कर विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में नई क्रांति ला दी है। उम्मीद है कि पवन टरबाइनों के जरिए अब पूरे विश्व की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
‘हिंदुओं को मारने में आता है मजा’, पाक आतंकी का कबूलनामा
November 03, 2022: इमरानखानपरफायरिंग , एकहमलावरजिसकानामनावेदहैगिरफ्तारऔरदूसरामारागयाहै।
कराची: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला (वजीराबाद) में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को एक रैली के दौरान गोली मार दी गई। इस हमले के बाद इमरान खान का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा- अल्लाह ने मुझे दूसरी जिंदगी दी है। मैं वापस लडूंगा इंशाअल्लाह।
02 जनवरी 2016: पठानकोट टेरर कॉलः आतंकी ने PAK में बैठी मां से फोन पर कहा- फिदायीन मिशन पर हूं। माँ ने कहा भोजन कर ले जन्नत जायेगा?
ग्लोबल टेररिस्ट को बचाने में मजा आता है चीन को
‘हिंदुओं को मारने में आता है मजा’, पाक आतंकी का कबूलनामा
November 03, 2022: इमरानखानपरफायरिंग , एकहमलावरजिसकानामनावेदहैगिरफ्तारऔरदूसरामारागयाहै।
कराची: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला (वजीराबाद) में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को एक रैली के दौरान गोली मार दी गई। इस हमले के बाद इमरान खान का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा- अल्लाह ने मुझे दूसरी जिंदगी दी है। मैं वापस लडूंगा इंशाअल्लाह।
02 जनवरी 2016: पठानकोट टेरर कॉलः आतंकी ने PAK में बैठी मां से फोन पर कहा- फिदायीन मिशन पर हूं। माँ ने कहा भोजन कर ले जन्नत जायेगा?
Tags: Global terrorist Masood Azhar, China, Fun to kill Hindus, Firing on Imran Khan, Pathankot Terror Attack, Fidayeen mission, Jannat
जगदीश चन्द्र बसु ने सिद्ध किया कि पेड़-पौधों में भी जीव है। पेपर प्रोडक्शन के लिए पर्यावरण के रक्षक हमारे जीवन के रक्षक जंगल कै जंगल असंख्य पेड़ों की हत्या की जाती है। डिजिटल करेंसी से अब ऐसा नहीं हो सकेगा।
आरबीआई ने आज नोवेम्बर २, २०२२ को जारी किया डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट। इसके लांच होते ही इसका आशा से भी अधिक रेस्पोंसे मिल रहा है। आते ही छा गई आरबीआई की डिजिटल करेंसी, पहले दिन हुए 275 करोड़ रुपये के 50 ट्रांजैक्शन। इस पायलट प्रोजेक्ट में हिस्सा ले रहे हैं नौ बैंक।
डिजिटल करेंसी: 100 रुपये के नोट छापने में खर्च होते हैं 17 रुपये, अब आरबीआई ऐसे करेगा करोड़ों की बचत। एक करेंसी नोट अधिकतम चार साल तक चलता है। केंद्रीय बैंक को नए नोट छापने हैं जिनकी कीमत हजारों करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2021-22 में आरबीआई ने 4.19 लाख अतिरिक्त नोट छापे थे, जिनकी कीमत हजारों करोड़ रुपये थी। वहीं डिजिटल करेंसी की कीमत लगभग जीरो होगी, जिससे सरकार के अरबों रुपये की बचत होगी।
ई-आरयूपीआई डिजिटल भुगतान के लिए एक कैशलेस और संपर्क रहित साधन है। इसमें कहा गया है कि ई-आरयूपीआई इलेक्ट्रॉनिक वाउचर की एक अवधारणा है जो प्रधानमंत्री के सुशासन के दृष्टिकोण को आगे ले जाती है।
इस सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी यानी CBDC का नाम दिया गया है। अभी इसका ट्रायल चल रहा है और इसमें 9 बैंकों को शामिल किया गया है जिनके जरिए लेनदेन किया जाएगा। अभी डिजिटल करेंसी को रोजमर्रा के भुगतान के लिए शुरू नहीं किया गया है, बल्कि इसका इस्तेमाल सरकारी सुरक्षा के लेन-देन में किया जा रहा है। इसका ट्रायल आज मंगलवार को शुरू हुआ। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार, यह भारत की मुद्रा के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है और यह कारोबार करने के पूरे तरीके को बदल देगा।
इसमें हिस्सा लेने वाले हर बैंक का एक डिजिटल करेंसी अकाउंट है जिसे सीबीडीसी अकाउंट (CBDC Account) नाम दिया गया है। इसे आरबीआई मेनटेन कर रहा है। बैंकों को पहले अपने अकाउंट्स से इस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने होंगे। अगर एक्स बैंक किसी वाई बैंक से बॉन्ड्स खरीद रहा है तो एक्स बैंक के सीबीडीसी बैंक से डेबिट होगा और वाई बैंक के उसी अकाउंट में क्रेडिट होगा। इसमें उसी दिन डिजिटल सेटलमेंट होगा।
इस सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी यानी CBDC का नाम दिया गया है। अभी इसका ट्रायल चल रहा है और इसमें 9 बैंकों को शामिल किया गया है जिनके जरिए लेनदेन किया जाएगा। अभी डिजिटल करेंसी को रोजमर्रा के भुगतान के लिए शुरू नहीं किया गया है, बल्कि इसका इस्तेमाल सरकारी सुरक्षा के लेन-देन में किया जा रहा है। इसका ट्रायल आज मंगलवार को शुरू हुआ। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार, यह भारत की मुद्रा के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है और यह कारोबार करने के पूरे तरीके को बदल देगा।
भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा बैंक ने भी डिजिटल रुपये के पहले पायलट परीक्षण में भाग लिया। आरबीआई ने कहा कि उसकी योजना एक महीने के भीतर डिजिटल रुपये का पायलट ट्रायल शुरू करने की है। परीक्षण एक विशिष्ट उपयोगकर्ता समूह के बीच चुनिंदा स्थानों पर आयोजित किया जाएगा, जिसमें ग्राहक और व्यापारी शामिल हैं।
आरबीआई की डिजिटल करेंसी में डील सेटलमेंट से सेटलमेंट कॉस्ट में कमी आने की संभावना है। CBDC केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए करेंसी नोटों का डिजिटल संस्करण है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंक सीबीडीसी शुरू करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया पेश करने की घोषणा की थी।
डिजिटल करेंसी से न सिर्फ सरकार का पैसा बचेगा, बल्कि इसका इस्तेमाल करने वालों को भी कई फायदे मिलेंगे. मसलन जेब में नोट ले जाने की जरूरत नहीं होगी और न ही बैंक जाकर नोट जमा कराने की जरूरत होगी. इसका भुगतान तेज और सुरक्षित होगा। वॉलेट में पैसे रखने की जगह मोबाइल वॉलेट जैसा सिस्टम काम करेगा।
ई-आरयूपीआई के बाद अब डिजिटल करेंसी का ा जारी हों होना एक और उदाहरण है कि भारत कैसे आगे बढ़ रहा है और 21वीं सदी में लोगों को उन्नत तकनीक की मदद से जोड़ रहा है।
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फ़िरोज़ और इंदिरा का विवाह भी हिन्दू रीति रिवाज़ों से हुआ था। कैथरीन और बर्टिल ने इस पर भी विस्तार से लिखा है।
धनजीभाई फ़रदूनभाई Ghandy कोई और नहीं, फ़िरोज़ गाँधी के दादा थे। मीडिया में असली और नकली गाँधी सरनामे की चर्चा होते रही है। Ghandy से Gandhi कैसे कौन हुआ इसका भी रोचक इतिहास है।
62 वीं पुण्यतिथि 2022 : झाड़ियों में छिप गई फ़िरोज़ गांधी की पहचान, दादा को भूल गए राहुल और प्रियंका Ghandy (Gandhi-Vadra) : 8 सितम्बर को स्वतंत्रता सेनानी फ़िरोज़ गांधी की पुण्यतिथि और 12 सितंबर को जन्मतिथि। गूगल पर जब आप गांधी सरनेम के विषय में रिसर्च करते हैं तो पता चलता है कि भारत में करीब 1 लाख 56 हजार लोग अपने नाम के आगे गांधी सरनेम लगाते हैं, ये संख्या इससे ज्यादा भी हो सकती है. लेकिन जिस तरह से Gandhi सरनेम का दोहन एक राजनीतिक घराने ने किया है, वैसा शायद ही किसी ने किया हो।
ये बहुत बड़ी विडंबना है कि आज के दौर के गांधी बड़े-बड़े सरकारी बंगलों में रहते हैं और सुविधाओं का दोहन करते हैं, जबकि असली गांधियों को कोई जानता भी नहीं. भारत सहित दुनिया के ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि नेहरू गांधी परिवार ही महात्मा गांधी का असली वंशज हैं. लेकिन ये बात पूरी तरह से गलत है।
महात्मा गांधी की पारवारिक वंशावली फैमिली में आपको इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी या राहुल गांधी का नाम देखने को नहीं मिलेगा, क्योंकि इनका गांधी जी के असली परिवार से कोई संबंध नहीं है। महात्मा गांधी के 4 बेटे थे. हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास. महात्मा गांधी के 154 वंशज दुनिया के 6 देशों में रह रहे हैं।
कनुभाई गांधी महात्मा गांधी के तीसरे बेटे रामदास गांधी के बेटे थे और अपनी पत्नी के साथ दिल्ली के एक वृद्धाश्रम में रह रहे थे. 2016 में दो महीने तक वो दिल्ली के एक वृद्धाश्रम में रहे और उसके बाद सूरत के एक वृद्धाश्रम में चले गए। लेकिन नवंबर 2016 में हार्ट अटैक की वजह से उनकी मृत्यु हो गई।
आपको जानकर हैरानी होगी कि कनुभाई ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA और अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट में भी काम किया था। गांधी सरनेम लगाकर राजनीति करने वालों ने इस शब्द को ही हाईजैक कर लिया, जबकि असली गांधी की बात कोई नहीं करता।
डीएनए एनालिसिस में सुधीर चौधरी का प्रश्न था क्या स्पेलिंग में ऐसे ही फेरबदल करके, किसी अर्थ के अलावा किसी देश के इतिहास, वर्तमान और भविष्य को भी बदला जा सकता है ? गांधी परिवार के संदर्भ में देखेंगे तो इसका जवाब हां में ही नजर आता है. गांधी सरनेम के सहारे आज राजनीति का गांधी परिवार अपनी तुलना महात्मा गांधी के संघर्षों से करता है। क्या स्पेलिंग में ऐसे ही फेरबदल करके, किसी अर्थ के अलावा किसी देश के इतिहास, वर्तमान और भविष्य को भी बदला जा सकता है ? गांधी परिवार के संदर्भ में देखेंगे तो इसका जवाब हां में ही नजर आता है. गांधी सरनेम के सहारे आज राजनीति का गांधी परिवार अपनी तुलना महात्मा गांधी के संघर्षों से करता है.
फिरोज जहांगीर गांधी पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे। पारसी समुदाय ने भारत के विकास में काफी बड़ा योगदान दिया है। व्यापार जगत में जमशेद टाटा, जहांगीर रतन टाटा, गोदरेज, नेविल वाडिया ,साइरस मिस्त्री, कोवास्जी इत्यादि, स्वतंत्राता संग्राम सेनानियों में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, मैडम भिकाजी कामा, रतनबाई पेटिट (जिन्ना की पत्नी) इनके अलावा और भी कई नाम हैं। खेल जगत में नारी कोंट्रेक्टर, पाली उमरीगर, फारूख इंजीनियर, रुसी मोदी, विजय मर्चेंट इत्यादि।
उनका परिवार ईरान से आया और देश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ था। इलाहाबाद में आज भी फिरोज के बड़े भाई फिरदौस के बेटे रुस्तम रहते हैं। तत्कालीन सांसद फिरोज गांधी के निधन के बाद इलाहाबाद के ममफोर्डगंज मोहल्ले स्थित पारसी समुदाय के कब्रिस्तान में दफन किया गया था। 1980 में मेनका गांधी और उसके बाद सोनिया गांधी यहां आई थीं। उसके बाद परिवार का कोई सदस्य इस कब्रिस्तान में नहीं आया। इस कब्रिस्तान की देखभाल एक चौकीदार करता है। कब्रिस्तान में कुआं और एक मकान के अलावा चौकीदार के रहने के लिए दो कमरे भी बने हुए हैं। देखभाल के अभाव में फिरोज गांधी सहित उनके पूर्वजों की कब्र जर्जर हो चुकी हैं।
राजीव गांधी के पिता फिरोज गांधी का गुजरात से गहरा नाता था, 1960 में हार्ट अटैक से निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार हिंदू-रीति रिवाज से किया गया था, लेकिन अस्थियों के एक हिस्से को सूरत में दफनाया गया था। खास बात ये है कि उनका अंतिम संस्कार हुआ था हिंदू रीति-रिवाज से था, लेकिन उसमें पारसी प्रक्रिया भी अपनाई गई थी. आइए जानते हैं कि आखिर फिरोज गांधी की अस्थियों को गुजरात के सूरत में ही क्यों दफनाया गया।
09 Sep 2022 दोपहर 12:30 बजे फिरोज गांधी की कब्र पर पहुंचे कांग्रेसियों ने पुष्प अर्पित किया। इस दौरान पार्टी नेताओं का कहना था कि एक स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर फिरोज गांधी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। परन्तु २० से भी अधिक वासों से फ़ीरोज़े की जर्जर कब्र को भूलचूकें हैं राहुल प्रियंका गाँधी वाड्रा।
प्रयागराज में पारसी कब्रगाह के बीच बनी फिरोज जहांगीर गांधी की कब्रगाह आज भी अपनी पुश्तों का इंतजार कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दादा की मजार की हिफाजत करने वाले बाबूलाल का कहना है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी को अपने पुरखों की कब्रगाह पर आना चाहिए
महात्मा गाँधी में ऐसी जादुई शक्ति थी जिसके कारण उनकी हर बात को सातंत्रता की पूर्व के बड़े से बड़े कांग्रेस के नेता को मानना पड़ता था। नेहरू में भी ऐसी काली जादुई शक्ति थी जिसके कारण उनकी हर बात को चाहे कोई मने या ना मने पर महात्मा गाँधी जरूर मानते थे। इसके गवाह सरदार पटेल और सुभाष चंद्र बोस से सम्बंधित इतिहास के पन्ने हैं। पंडित नेहरू और सरदार पटेल दोनों ही महात्मा गाँधी के प्रिय शिष्य थे।
‘पटेल न होते तो 565 टुकड़ों में बंट जाता देश’
सरदार बल्लभ भाई पटेल नहीं होते तो आज यह देश सैकड़ों टुकड़ों में बंटा होता। आजादी के बाद भारत 565 विरासतों में बंटा था और उसे एक सूत्र में बांधने का काम सरदार पटेल ने किया था। इसी कारण सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि महात्मा गाँधी ने दी थी। इसके एवज में महात्मा गाँधी ने लौह पुरुष पटेल से गुरु दक्षिणा मांगी या यह कहें कि जैसे माता कुंती ने दानवीर कर्ण से वचन माँगा।
महात्मा गाँधी और सरदार पटेल कि छवि सनातनी और हिंदुत्व वादी थी। इसके विपरीत नेहरू की छवि एंटी हिन्दू रही है। उनके बारे में यह कहा जाता है कि वे घटनावश हिन्दू परिवार में जन्मे परंतु शिक्षा से अंग्रेज और संस्कृति से मुस्लिम रहे। परंतु हिन्दुओं के वोट प्राप्त करने के लिये उन्होंने अपने सिर पर टोपी विराजमान रखी तथा अपने नाम के आगे पंडित भी रखा रहा।http://www.lokshakti.in/39411/
प्रधानमंत्री तय करने के लिए अप्रैल 1946 में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी। मौलाना अब्दुल कलाम कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के पद को छोड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन महात्मा गांधी के कहने पर उन्हें ये पद छोड़ना पड़ा जिसके बाद महात्मा गांधी पंडित नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाना चाहते थे।
उस समय कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव प्रांतीय कांग्रेस कमेटियां करती थी. ऐसे में किसी भी प्रांतीय कांग्रेस कमेटी ने जवाहर लाल नेहरू का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित नहीं किया था . 15 में से 12 प्रांतीय कांग्रेस कमेटियों ने सरदार पटेल का और बची हुई 3 कमेटियों ने बैठक में तब पार्टी के महासचिव आचार्य जे बी कृपलानी और पट्टाभी सीतारमैया का नाम प्रस्तावित किया गया था।
ऐसे में ये तय था कि कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सरदार पटेल के पास ज्यादा लोगों की सहमति रही, दूर- दूर तक जवाहर लाल नेहरू का नाम नहीं था। महात्मा गांधी ही थे जो नेहरू को भारत का पहला प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहते थे. इसके बाद आचार्य कृपलानी को कहना पड़ा, ‘बापू की भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं जवाहर लाल का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित करता हूं.’ यह कहते हुए आचार्य कृपलानी ने एक कागज पर जवाहर लाल नेहरू का नाम खुद से प्रस्तावित कर दिया था।
महात्मा गांधी के दवाब के कारण पटेल ने भी मान लिया था नेहरू ही अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि महात्मा गांधी ने अध्यक्ष पद के लिए सरदार पटेल के नाम का प्रस्ताव नहीं दिया था। महात्मा गांधी ने वजह बताते हुए कहा था कि “जवाहर लाल नेहरू बतौर कांग्रेस अध्यक्ष अंग्रेजी हुकूमत से बेहतर तरीके से समझौता वार्ता कर सकते थे”।
अपने एक शिष्य नेहरू के लिए पटेल सहित अन्य नेताओं पर महात्मा का दबाव क्या नैतिक और लोकततांत्रिक था ? किसके पास है इसका उत्तर ?
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छठ पर्व परअपने मन की बात के 94वें एपिसोड में प्रधानमंत्री ने कहा, “छठ का त्योहार भी एक भारत श्रेष्ठ भारत का एक उदाहरण है। र्य उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति, हमारी आस्था का, प्रकृति से कितना गहरा जुड़ाव है।
उत्तराखंड का उत्तरायण पर्व, केरल का ओणम, कर्नाटक की रथसप्तमी और पूर्वी भारत में छठ-पूजा सूर्योपासना के प्रमाण हैं। सूर्योपासन ऋगवैदिक काल से होती आ रही है। विष्णु पुराण, भगवत पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि में सूर्योपासना का वर्णन है। मध्य काल तक छठ सूर्योपासना के व्यवस्थित पर्व के रूप में प्रतिष्ठित होती। पहले यह सूर्योपासना मंत्रों से होती थी। बाद में मूर्ति पूजा का प्रचलन हुआ तो यत्र तत्र सूर्य मन्दिरों का नैर्माण हुआ। भविष्य पुराण में ब्रह्मा विष्णु के मध्य एक संवाद में सूर्य पूजा एवं मन्दिर निर्माण का महत्व समझाया गया है।
दिनेदिनेनवम्नवम्…. नमामिनंदनंदनं… भारतीय संस्कृति के अनुसार नित्य नए उत्सव और पर्वों को मनाकर हम नित्य नवीन भावों से जीवन को भर लेते है। छठ पर्व पर सूर्य उपासना सांस्कृतिकराष्ट्रवादका प्रतीक है। भगवान सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एकता के प्रतीक पर्वों की कड़ी मे लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, बिहू तिल कुट माघी खिचड़ी अन्य अनेकादि नामों से जाने जाने वाले सभी पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं। #HappyChhath
दिने दिने नवम् नवम्…. नमामि नंद नंदनं… भारतीय संस्कृति के अनुसार नित्य नए उत्सव और पर्वों को मनाकर हम नित्य नवीन भावों से जीवन को भर लेते है। छठ पर पीएम मोदी ने कहा कि सूर्य उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति, हमारी आस्था का, प्रकृति से कितना गहरा जुड़ाव
छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार है जो स्वस्थ, सुखी और समृद्ध जीवन के लिए सूर्य भगवान से आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य के प्रकाश में विभिन्न रोगों और स्थितियों का इलाज होता है। पवित्र नदी में डुबकी लगाने से कुछ औषधीय और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं। इसे आज का विज्ञान भी मान्यता देता है, भारत में सूर्योपासना की परंपरा वैदिककाल से ही रही है
आमतौर पर भारत में दिन सूर्य नमस्कार surynamaskar के साथ शुरु होता है। इसमें लोग सूर्य को जल चढ़ाते हैं और मंत्र पढ़कर प्रार्थना करते हैं। भारतीय लोग प्रकृति की पूजा Nature Worship करते हैं और यह इस संस्कृति की अनूठी बात है। हिंदू धर्म में पेड़ों और जानवरों को भगवान की तरह पूजा जाता है। लोग भगवान में विश्वास रखते हैं और कई त्यौहारों पर उपवास रखते हैं। वे सुबह का ताज़ा खाना गाय को और रात का आखिरी खाना कुत्ते को देते हैं। दुनिया में कहीं भी इस तरह की उदारता नहीं देखी जाती।
सूर्य देव का वरदान है- सौर ऊर्जा: पीएम मोदी ने कहा, “सूर्य देव का ये वरदान है – ‘सौर ऊर्जा’। Solar Energy आज एक ऐसा विषय है, जिसमें पूरी दुनिया अपना भविष्य देख रही है और भारत के लिए तो सूर्य देव सदियों से उपासना ही नहीं, जीवन पद्धति के भी केंद्र में रह रहे हैं। भारत, आज अपने पारंपरिक अनुभवों को आधुनिक विज्ञान से जोड़ रहा है, तभी, आज हम, सौर ऊर्जा से बिजली बनाने वाले सबसे बड़े देशों में शामिल हो गए हैं। सौर ऊर्जा से कैसे हमारे देश के गरीब और मध्यम वर्ग के जीवन में बदलाव आ रहा है, वो भी अध्ययन का विषय है।”
वैदिक साहित्य में ही नहीं आयुर्वेद, ज्योतिष, हस्तरेखा शास्त्रों में सूर्य का महत्व प्रतिपादित किया गया है। सौर-सिद्धांत के अनुसार हर जातक के पराक्रम, तेज, यश, ज्ञान, क्रोध और हिंसा के भाव सूर्य प्रभाव से निर्धारित होते हैं। सूर्य की उपासना से ओजस, तेजस और ब्रह्मवर्चस की प्राप्ति होती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। ये सिंह राशि के स्वामी है। पिता का प्रतिधिनित्व करने वाले सूर्य पुरुष ग्रह हैं, जिनके प्रभाव से आयु की गणना होती है। मंदिर, महल, जंगल, किला और नदी औरंगाबाद जिला के देव में अवस्थित इस सूर्य मंदिर का मुख पश्चिम दिशा की ओर है। मंदिर का शिल्प उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर से मिलता है, जो दो भागों में बना है। पहला गर्भ गृह, जिसके ऊपर कमल के आकार का शिखर है और शिखर के ऊपर स्वर्ण कलश है। दूसरा भाग मुखमंडप है, जिसके ऊपर पिरामिडनुमा छत और छत को सहारा देने के लिए नक्काशीदार पत्थरों का बना स्तंभ है। मंदिर का गुंबद करीब सौ फीट ऊंचा है।
भारत के लिए, सूर्य भगवान की न केवल सदियों से पूजा की जाती रही है, बल्कि यह हमारे जीवन के तरीके का भी केंद्र बिंदु रहा है। आज प्रधानमंत्री ने कहा, भारत अपने पारंपरिक अनुभवों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ रहा है और सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने वाले सबसे बड़े देशों में से एक बन गया है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा देश के गरीब और मध्यम वर्ग के जीवन को कैसे बदल रही है यह भी अध्ययन का विषय है। आपने कुछ दिन पहले, देश के पहले सूर्य ग्राम- गुजरात के मोढेरा की खूब चर्चा सुनी होगी। उन्होंने जानकारी दी कि मोढेरा सूर्य ग्राम के ज्यादातर घर, सोलर पावर से बिजली पैदा करने लगे हैं और अब वहाँ के कई घरों में महीने के आखिर में बिजली का बिल नहीं आ रहा, बल्कि, बिजली से कमाई का चेक आ रहा है। उन्होंने बताया कि हमारा देश, Solar Sector के साथ ही अंतरिक्ष सेक्टर में भी कमाल कर रहा है। पूरी दुनिया, आज भारत की उपलब्धियाँ देखकर हैरान है।
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शाह बानो मामला: जब मुस्लिम कट्टरपंथियों, मौलवियों ने 1984 में चुनी गई तत्कालीन राजीव गांधी सरकार को मुस्लिम महिला (तलाक पर संरक्षण अधिनियम), 1986 पारित करने के लिए प्रेरित किया। इस कानून ने शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उलट दिया। अर्थात राजीव गांधी ने तलाक के दौरान मुस्लिम महिलाओं के भरण-पोषण के अधिकार की रक्षा करने वाले SC के फैसले को पलट दिया।
1985 में सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो मामले में उन्हें तलाक देने वाले शौहर को हर महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल बताकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जबरदस्त विरोध करने लगे। 1986 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दिए, संसद में कानून बनाकर फैसला पलट दिया।
इसके बाद राजिक गाँधी सरकार पर सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगने लगे। डैमेज कंट्रोल के लिए राजीव गांधी ने एक और ऐतिहासिक भूल कर दी। इस बार हिंदू तुष्टीकरण की। 37 सालों से बंद अयोध्या के विवादित बाबरी ढांचे स्थित रामललाका 1986 में ताला खोल दिया गया। ताला ही नही खुला। राजीव गांधी ने खुद अयोध्या पहुंच पूजा-अर्चना की। विवादित स्थल के पास ही राम मंदिर का शिलान्यास तक कर डाला। राजीव गांधी की इस दूसरी गलती से अयोध्या मामला गरमा गया। लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी ने राम मंदिर निर्माण के लिए बड़ा आंदोलन छेड़ दिया। उसी आंदोलन की बदौलत बीजेपी ने पहले राज्यों और फिर बाद में केंद्र में सत्ता का स्वाद चखा। आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में है। कई राज्यों में उसकी सरकारें हैं। २०२४ के लोक सभा चुनाव में भी —–के जीत की भविष्यवाणी राजनीतिज्ञ ुर सर्वे कर रहे हैं।
इसी वोटबैंकपोलिटिक्स और ब्रिटिश अंग्रेजों की Divide & Rule की नीति को कांग्रेस १९४७े बाद भी अपनाते आ रही है। कांग्रेस शासित राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है।
राजस्थान सरकार ने मुस्लिम तुष्टीकरण की हदें पार करते हुए राजस्थान की गहलोत सरकार में धर्म के आधार पर भेदभाव, रीट एग्जाम में उतरवाए गए दुपट्टे, मंगलसूत्र और चूड़ियां, हिजाब पहनकर परीक्षा देने की मिली छूट: कांग्रेस शासित राज्यों में हिन्दू होना गुनाह बन गया है। इसका प्रमाण राजस्थान में रीट एग्जाम के दौरान देखने को मिला। परीक्षार्थियों के परीक्षा केंद्र में प्रवेश को लेकर प्रशासन ने इतनी सख्ती दिखाई कि हिन्दू महिलाओं और युवतियों के दुपट्टे उतरवा दिए गए और कपड़ों पर लगे बटन तक काट दिए। यहीं नहीं महिलाओं के मंगलसूत्र, चूड़ियां, बालों की क्लिप, साड़ी पिन निकलवा दी गई।
राजस्थान सरकार ने मदरसों में पढ़ने वाले 5वीं कक्षा के छात्रों की बोर्ड परीक्षा की फीस माफ करने का फैसला किया है। छात्र तो सब एक होते हैं फिर उनके साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। रमजान के महीने में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बिजली कटौती नहीं करने का आदेश दिया। इसके विपरीत, हिंदू त्योहारों पर कई जिलों में धारा 144 लागू किया गया और रैली आदि निकालने के लिए पुलिस की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया।
कॉन्ग्रेस की ‘मुस्लिम तुष्टिकरण की भेंट चढ़े कन्हैया लाल:राजस्थान के उदयपुर (Udaipur, Rajasthan) में मंगलवार (28 जून 2022) को कन्हैया लाल साहू नाम के हिंदू व्यक्ति की गला काटकर दिन-दहाड़े हत्या कर दी गई। इस्लामी आतंकियों ने न सिर्फ गला काटा, बल्कि बाद में वीडियो भी बनाया और उनके रसूल की गुस्ताखी पर लोगों को धमकाया।
मुस्लिम तुष्टिकरण की हद पार करने के बाद हार की कगार पर कड़ी गहलोत सरकार हिन्दुओं को खुश करने के लिए राजस्थान के नाथद्वार में दुनिया की सबसे ऊंची 369 फीट की शिव प्रतिमा का आज अनावरण नवंबर २९, २०२२ को किया गया।
प्रधानमंत्रीनरेंद्रमोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला 2014 में क्यों किया था ? इस सवाल का जवाब वास्तव तत्काल चुनावी गणना के अलावा सांस्कृतिक संदर्भें भी छिपा है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए 13 दिसंबर, 2021 में मोदी ने कहा था कि काशीविश्वनाथधाम का उद्घाटन भारत को एक निर्णायक दिशा देगा और एक उज्ज्वल भविष्य की शुरुआत करेगा।
मध्यकाल में अस्था के स्थलों पर सुनियोजित हमले हुए। किन्तु आस्था का अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ। स्वतंत्रता के बाद प्रथम उप प्रधानमंत्री बल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से सोमनाथ मन्दिर का भव्य निर्माण हुआ था। उनके बाद ऐसे सभी विषयों को साम्प्रदायिक घोषित कर दिया गया। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस प्रचलित राजनीति में बदलाव हुआ। साँस्कृतिक विषयों को देश की अर्थव्यवस्था से जोड़ा गया। तीर्थाटन और पर्यटन अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में समाहित हुए। यह क्रम निरंतर जारी है।
अब ‘‘एकभारत, श्रेष्ठभारत की व्यापक रूपरेखा और भावना के तहत ज्ञान, संस्कृति और विरासत के दो प्राचीनतम केंद्रों काशी एवं तमिलनाडु के बीच की कड़ी की तलाश के लिए 16 नवंबर से 19 दिसंबर के बीच वाराणसी में काशीतमिलसंगमम का आयोजन किया जा रहा है।
ज्ञान, संस्कृति और विरासत के दो प्राचीनतम केंद्रों काशी एवं तमिलनाडु के बीच की कड़ी की तलाश के लिए 16 नवंबर से 19 दिसंबर के बीच वाराणसी में काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रियों धर्मेंद्रप्रधानऔरएल. मुरुगन ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा समिति (बीबीएस) ने सदियों से मौजूद तमिलसंस्कृति और काशी के बीच के संबंधों की फिर से तलाश, उनकी पुष्टि और उसका उत्सव मनाने का प्रस्ताव किया है।
कोणार्क का सूर्य मंदिर, एलोरा का कैलाश मंदिर, मोढेरा का सूर्य मंदिर, तंजौर का ब्रह्मदेवेश्वर मंदिर, कांचीपुरम का तिरूमल मंदिर, रामेश्वरम मंदिर, मीनाक्षी मंदिर और श्रीनगर का शंकराचार्य मंदिर हमारी निरंतरता और परंपरा के वाहक हैं। भारत आज विश्व के मार्गदर्शन के लिए फिर तैयार है। यह करोड़ों भारतीयों का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्रीश्रीनरेन्द्रमोदी भी शिव के भक्त हैं और उनके नेतृत्व में देश भर में आध्यात्मिक और धार्मिक स्थलों का लगातार कायाकल्प हो रहा है। उज्जैन स्थित “श्री महाकाल लोक” भी उनमें से एक है।
कोणार्क का सूर्य मंदिर, एलोरा का कैलाश मंदिर, मोढेरा का सूर्य मंदिर, तंजौर का ब्रह्मदेवेश्वर मंदिर, कांचीपुरम का तिरूमल मंदिर, रामेश्वरम मंदिर, मीनाक्षी मंदिर और श्रीनगर का शंकराचार्य मंदिर हमारी निरंतरता और परंपरा के वाहक हैं। भारत आज विश्व के मार्गदर्शन के लिए फिर तैयार है। यह करोड़ों भारतीयों का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी शिव के भक्त हैं और उनके नेतृत्व में देश भर में आध्यात्मिक और धार्मिक स्थलों का लगातार कायाकल्प हो रहा है। उज्जैन स्थित “श्री महाकाल लोक” भी उनमें से एक है। “श्री महाकाल लोक” : संस्कृति, अध्यात्म और राष्ट्रवाद का स्वर्णिम संयोजनहै।
“ब्रिटेन में मौजूदा सरकार के भंग होने के बाद से नई सरकार बनने जा रही है। भारतीय मूल के ऋषि सनक इस दौड़ में सबसे आगे हैं और उन्हें ब्रिटिश लोगों का समर्थन मिलता रहा है। पिछली सरकार में दो साल पहले जब उन्होंने भगवद्गीता की शपथ ली थी तब उन्होंने कोषाध्यक्ष के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया था। ये घटनाएं एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. सनक के मुख्य सचिव के रूप में चयन के बाद एक अखबार ने उनका साक्षात्कार लिया, जब उन्होंने कहा, “हालांकि मैं अब ब्रिटेन का नागरिक हूं, मेरा धर्म हिंदू है। भारत मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है। मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है।“
हिन्दुओं पर Rishi Sunak का ये बयान, धमाके से कम नहीं ……
ऋषि सुनक ने अपनी कंजरवेटिव पार्टी द्वारा पीएम चुने जाने के बाद ब्रिटेन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कंजरवेटिव और यूनियनिस्ट पार्टी के नेता के रूप में चुने जाने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है, जिसके लिए आभारी हूं. ऋषि सुनक 28 अक्टूबर को पीएम पद की शपथ लेंगे और 29 अक्टूबर को कैबिनेट का गठन किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि यूके एक महान देश है, लेकिन हम एक गहन आर्थिक चुनौती का सामना कर रहे हैं, हमें स्थिरता और एकता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी पार्टी और देश को एक साथ लाना सर्वोच्च प्राथमिकता कायम करूंगा क्योंकि यही एकमात्र तरीका है, जिससे हम चुनौतियों से पार पा सकते हैं। अपने बच्चों और नाती-पोतों के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वो प्रतिज्ञा करते है कि ईमानदारी और नम्रता के साथ आपकी सेवा करूंगा।
यहां भारत रत्न अटल जी की वह कविता याद आती है, जिसमें वह कहते हैं- हिंदू तन मन हिंदू जीवन रग रग मेरा हिंदू परिचय।
माता–पिताऔरभाई–बहन
उनके पिता, यशवीर सनक एक एनएचएस जनरल प्रैक्टिशनर थे, जबकि उनकी मां उषा सनक एक मेडिकल शॉप की देखभाल करती थीं। उनके माता-पिता ने हमेशा उनकी शिक्षा को प्राथमिकता दी और उन्हें स्टैनफोर्ड और ऑक्सफ़ोर्ड सहित कुछ सबसे विशिष्ट विश्वविद्यालयों में पढ़ाया, हालाँकि ऐसा करने के लिए उन्हें बहुत त्याग करना पड़ा।
वाया केन्या सुनक परिवार इंग्लैंड आया था और यहीं पर 12 मई 1980 को साउथम्पटन में ऋषि का जन्म हुआ. पिता यशवीर का जन्म केन्या में ही हुआ था और मां उषा तंजानिया में जन्मी थीं. एक तरह ऋषि सुनक पूरी तरह भारतवंशी हैं. इनके दादा सनातनी ब्राह्मण थे और पंजाब से पूर्वी अफ़्रीका गए थे. और उनका पूरा परिवार अपने पुरखों के विश्वास और मान्यताओं को मानता है. ऋषि ने आक्सफ़ोर्ड से दर्शन, अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र में अध्ययन किया है. वर्ष 2015 में वे पहली बार सांसद चुने गए थे. ऋषि शाकाहारी और मदिरा से परहेज़ करने वाले हैं. उन्होंने राजनीति में कंज़रवेटिव पार्टी (टोरी दल) का साथ लिया. और कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे
ब्रिटेनकेअमीरोंमेंएक
पहली बाधा तो उनका अतिशय अमीर होना भी है. वे अपने घर से अमीर तो हैं ही, उनके श्वसुर एनआर नारायणमूर्ति की गिनती भारत में टॉप के अमीरों में होती है. उनकी पत्नी अक्षिता पूरे योरोप के सबसे अमीर हैं. कहा जाता है, कि ब्रिटेन की महारानी के पास भी इतना धन नहीं होगा. नारायणमूर्ति इन्फ़ोसिस के संस्थापक हैं. उनकी पत्नी के इन्फ़ोसिस में शेयर हैं. एक अनुमान के अनुसार उनके पास क़रीब 8000 करोड़ की संपत्ति है. अगर ऋषि सुनक 10, डाउनिंग स्ट्रीट में पहुंचे तो वे ब्रिटेन के सर्वाधिक संपन्न प्रधानमंत्री होंगे. उनके विरोधी उनकी अमीरी को निशाना बना रहे हैं. वे आरोप लगाते हैं, कि इतना धनी राजनेता ग़रीबों की परेशानी नहीं समझ सकता. मगर इसके जवाब में सुनक के अपने तर्क हैं. ऋषि के मुताबिक़ बतौर वित्त मंत्री उन्होंने समाज के हर वर्ग का ख़्याल रखा था. कोविड में उन्होंने सभी को राहत पैकेज दिए. किसी की नौकरी नहीं जाने दी और पर्यटन आदि सभी उद्योगों को पैकेज दिए. किंतु ब्रिटेन में इस समय जनता टैक्स से बेहाल है. ऋषि ने वायदा किया है, कि वे जनता पर कारों का बोझ कम करेंगे.
पत्नीऔरबच्चे
Stanford University में पढ़ाई के दौरान इनकी मुलाकात भारत की प्रसिद्ध इंफोसिस कंपनी के सह संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति की बेटी अक्षिता मूर्ति से हुई. यह मुलाकात पहले दोस्ती में तब्दील हुई और उसके बाद प्रेम में बदल गई जिसके परिणाम स्वरूप वर्ष 2009 में ऋषि सुनक और अक्षिता मूर्ति ने बाद में अगस्त 2009 में बैंगलोर शहर में शादी कर ली। उनकी दो बेटियां हैं अनुष्का सनक, कृष्णा सनक।
शादी कर ली.
ऋषि सनक और उनकी पत्नी की अपने ससुराल के साथ एक तस्वीर – एनआर नारायण मूर्ति (ससुर) और सुधा मूर्ति (सास)
ऋषि सनक एक भारतीय मूल के ब्रिटिश कंजर्वेटिव पार्टी के राजनेता और एनआर नारायण मूर्ति (भारतीय अरबपति व्यवसायी और इंफोसिस के सह-संस्थापक) के दामाद हैं। वह 2015 के यूके के आम चुनाव के बाद से रिचमंड (यॉर्क) के लिए संसद सदस्य (सांसद) हैं और उन्होंने 13 फरवरी 2020 को “राजकोष के चांसलर” (वित्त मंत्री) के रूप में पद ग्रहण किया।
ऋषि सनक का जन्म 12 मई 1980 ( उम्र 42वर्ष; 2022 तक ) साउथेम्प्टन, हैम्पशायर में हुआ था। उनकी राशि वृषभ है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा विनचेस्टर कॉलेज (विनचेस्टर, हैम्पशायर में लड़कों के लिए एक बोर्डिंग स्कूल) में पूरी की, जहाँ वे एक हेड बॉय थे। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के लिंकन कॉलेज से पीपीई (दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र) में डिग्री के साथ शिक्षा का स्नातक पाठ्यक्रम पूरा किया। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री भी हासिल की, जहां उन्होंने फुलब्राइट विद्वान के रूप में भाग लिया। राजनीति में कदम रखने से पहले उन्होंने कई शीर्ष श्रेणी की बड़ी निवेश फर्मों के साथ काम किया।
ऊंचाई (लगभग): 5′ 7″
आंखोंकारंग: काला
बालोंकारंग: काला
राजनीति
ऋषि सनक ने अक्टूबर 2014 में पहली बार यूके की संसद में कदम रखा, जब उन्हें रिचमंड के लिए कंजर्वेटिव एमपी उम्मीदवार के रूप में चुना गया; पूर्व सांसद विलियम हेग द्वारा अगला आम चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद। अगले वर्ष, यानी 2015 में, सनक ने रिचमंड से यूके का आम चुनाव लड़ा और 36.5% मतों के बहुमत से जीत हासिल की [4]. संसद के सदस्य के रूप में, सनक ने वर्ष 2015 से 2017 तक पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों की चयन समितियों के सदस्य के रूप में काम किया। वर्ष 2016 में, सनक ने प्रचार किया और ब्रेक्सिट जनमत संग्रह के लिए कई सार्वजनिक प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित किए, उन्होंने समर्थन किया ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से बाहर होना। 2017 के आम चुनावों में, सनक को रिचमंड (यॉर्क) के सांसद के रूप में 19,550 मतों (36.2%) के
बड़े बहुमत के साथ फिर से चुना गया। [5]उन्होंने 9 जनवरी 2018 से 24 जुलाई 2019 तक राज्य के संसदीय अवर सचिव का पद संभाला। [6]आवास समुदायों और स्थानीय सरकार के मंत्रालय में “राज्य के संसदीय अवर सचिव” के रूप में उनके कार्यकाल के बाद, उन्हें 24 जुलाई 2019 को प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा ट्रेजरी के मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। [6]2019 के आम चुनावों में, उन्हें फिर से आराम से रिचमंड (यॉर्क) के सांसद के रूप में चुना गया; 27,210 मतों (47.2%) के बढ़े हुए बहुमत के साथ संसद सदस्य के रूप में अपनी लगातार तीसरी जीत को चिह्नित करते हुए। [7]ऋषि सनक के फलते-फूलते राजनीतिक करियर में एक और पदोन्नति देखी गई, जब राजकोष के पूर्व चांसलर, साजिद जाविद ने नाटकीय रूप से अपने पद से इस्तीफा दे दिया, और सनक को ब्रिटेन में दूसरे सबसे शक्तिशाली राजनीतिक नौकरी के लिए राजकोष के नए चांसलर (वित्त) के रूप में नियुक्त किया गया। मंत्री) 13 फरवरी 2020 को। 5 जुलाई 2022 को, उन्होंने प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन के साथ अपने मतभेदों का हवाला देते हुए राजकोष के चांसलर (वित्त मंत्री) के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।
भारतीय मूल के #UK के नए प्रधान मंत्री @RishiSunak #RishiSunak ऋषि सनक ने सोमवार अक्टूबर २४ को कंजरवेटिव पार्टी के नेता बनने की दौड़ जीत ली और वे ब्रिटेन के अगले प्रधान मंत्री बन जाएंगे। दीवाली के शुभ अवसर पर इससे बड़ा और कौनसा उपहार हो सकता है ?
यह कार्यक्रम सुबह 9:40 बजे ET से शुरू होने वाला है।
पूर्व ट्रेजरी प्रमुख @RishiSunak ब्रिटेन के #इंडियन मूल पहले नेता होंगे और आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल के समय पार्टी और देश को स्थिर करने के कार्य का सामना करेंगे।
#BorisJohnson के बाद उनके एकमात्र प्रतिद्वंद्वी, Penny Mordaunt ने स्वीकार किया और candidatuer वापस ले लिया।
गवर्निंग पार्टी के नेता के रूप में, वह लिज़ ट्रस से प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगे, जिन्होंने पिछले सप्ताह पद पर 45 दिनों के बाद पद छोड़ दिया था। @RishiSunak मजबूत पसंदीदा थे क्योंकि गवर्निंग कंजर्वेटिव पार्टी ने भारी आर्थिक चुनौतियों के समय और पिछले दो प्रधानमंतियों की अराजकताभरी के बबाद स्थिरता की मांग की थी।
पूर्व नेता बोरिस जॉनसन के कंजरवेटिव पार्टी नेतृत्व की प्रतियोगिता से बाहर होने के बाद सनक की स्थिति मजबूत हुई। 45 दिनों के अशांत कार्यकाल के बाद लिज़ ट्रस के इस्तीफे के बाद पार्टी इस साल ब्रिटेन के तीसरे प्रधान मंत्री को चुन रही है।
सनक पिछले कंजर्वेटिव चुनाव में ट्रस से हार गए, लेकिन उनकी पार्टी और देश अब बढ़ती ऊर्जा और खाद्य कीमतों और एक आसन्न मंदी से निपटने के लिए एक सुरक्षित जोड़ी के लिए उत्सुक दिखाई देते हैं। राजनेता ने कोरोनोवायरस महामारी के माध्यम से अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया, बंद श्रमिकों और बंद व्यवसायों के लिए अपने वित्तीय समर्थन के लिए प्रशंसा जीती।
उन्होंने सरकार बनाने पर “ईमानदारी, व्यावसायिकता और जवाबदेही” का वादा किया है – देश की समस्याओं से निपटने वाले नेता की बढ़ती इच्छा के लिए।
इससे पहले दिन में, 42 वर्षीय 100 से अधिक सांसदों के समर्थन के साथ एकमात्र उम्मीदवार थे, चुनाव में चलने के लिए आवश्यक संख्या, उनके समर्थकों ने दावा किया कि उन्हें 357 में से आधे से अधिक कंजर्वेटिव सांसदों द्वारा समर्थन दिया गया है। संसद। मोर्डौंट ने नामांकन बंद होने तक दहलीज तक पहुंचने की उम्मीद की थी – लेकिन वह पीछे हट गई।
इसका मतलब है कि सनक अब कंजर्वेटिव पार्टी के नेता हैं और उन्हें किंग चार्ल्स III द्वारा सरकार बनाने के लिए कहा जाएगा। वह बाद में सोमवार या मंगलवार को ट्रस से सत्ता सौंपकर प्रधानमंत्री बनेंगे।
सनक, जो 2020 से इस गर्मी तक ट्रेजरी प्रमुख थे, ने जुलाई में जॉनसन के नेतृत्व के विरोध में पद छोड़ दिया।
जॉनसन ने रविवार की रात नाटकीय रूप से दौड़ छोड़ दी, प्रधान मंत्री की नौकरी पर लौटने के लिए एक अल्पकालिक, हाई-प्रोफाइल प्रयास को समाप्त कर दिया, जिसे नैतिकता के घोटालों के बीच तीन महीने से भी अधिक समय पहले हटा दिया गया था।
जॉनसन ने कैरेबियाई छुट्टी से वापस उड़ान भरने के बाद साथी कंजर्वेटिव सांसदों से समर्थन हासिल करने की कोशिश में सप्ताहांत बिताया। रविवार की देर रात उन्होंने कहा कि उन्होंने 102 सहयोगियों का समर्थन हासिल किया है। लेकिन वह समर्थन में सुनक से बहुत पीछे थे, और उन्होंने कहा कि उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि “आप प्रभावी ढंग से शासन नहीं कर सकते जब तक कि आपके पास संसद में एक संयुक्त पार्टी न हो।”
जॉनसन की वापसी की संभावना ने पहले से ही विभाजित कंजर्वेटिव पार्टी को और उथल-पुथल में डाल दिया था। उन्होंने 2019 में पार्टी को एक प्रचंड चुनावी जीत के लिए नेतृत्व किया, लेकिन उनके प्रीमियर पर पैसे और नैतिकता के घोटालों के बादल छा गए, जो अंततः पार्टी के लिए सहन करने के लिए बहुत अधिक हो गए।
अपने रविवार के बयान में, जॉनसन ने जोर देकर कहा कि वह 2024 तक अगले राष्ट्रीय चुनाव में “रूढ़िवादी जीत देने के लिए अच्छी तरह से तैयार” थे। और उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने किसी भी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों का एक मत जीता होगा।
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