मोदी है तो मुमकिन है: दुनिया को झुकाना आता है हमें, क्यों कि शेर हैं हम..

नेहरू शेख अब्दुल्ला द्वारा पैदा किये गये कश्मीर मसले को कर रहें हैं खत्म पीएम मोदी

केंद्र की मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद जिस मिशन कश्मीर और पूर्वोत्तर को धार दी, उसके पीछे पीएम मोदी के विजन के साथ ही सरदार वल्लभभाई पटेल के सिद्धांतों की प्रेरणा भी है। मोदी सरकार के इन कदमों से न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी और पर्यटकों की संख्या में रिकार्ड तेजी आई है, बल्कि पूर्वोत्तर में आठ हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने हथियार डालकर शांति और अमन की राह पकड़ी है।

कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से सरदार वल्लभभाई पटेल का सपना साकार हुआ है। इस कदम के बाद ही घाटी का भारत  के साथ असल में एकीकरण हुआ। बिखरी रियासतों को एक सूत्र में पिरोने वाले, भारत की एकता और अखंडता के सूत्रधार सरदार वल्लभभाई पटेल ही थे।

सरदार पटेल न होते तो देश की 550 से ज्यादा रियासतें एकजुट होकर भारत में नहीं मिली होती। नरेंद्र  मोदी ने कहा कि अगर भारत के पास सरदार पटेल जैसा नेतृत्व न होता तो क्या होता? अगर 550 से ज्यादा रियासतें एकजुट न हुई होती तो क्या होता? हमारे ज्यादातर राजा रजवाड़े त्याग की पराकाष्ठा न दिखाते, तो आज हम जैसा भारत देख रहे हैं हम उसकी कल्पना न कर पाते। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर तक ये कार्य सरदार पटेल ने ही सिद्ध किए हैं।

गुजरात में पीएम मोदी ने कहा कि अतीत की तरह ही भारत के उत्थान से परेशान होने वाली ताकतें आज भी मौजूद हैं। जातियों के नाम हमें लड़ाने के लिए तरह-तरह के नरेटिव गढ़े जाते हैं। इतिहास को भी ऐसे पेश किया जाता हैं कि जिससे देश जुड़े नहीं। मोदी जी काकहना ठीक ही है। जनु के टुकड़े टुकड़े गैंग अब कांग्रेस में उसी प्रकार घुसपैठ बना चुके हैं जिस प्रकार १९६२ के बाद कम्युनिष्टों ने कांग्रेस में घुश पैठ की थी।

नरेन्द्र मोदी सरकार चीन के रूख को देखते हुए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर पर्याप्त ध्यान दे रही है। पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र विकास के लिये अनेकों योजनाएं लाई गई और यह क्रम निरंतर जारी है । इन योजनाओं  से विशेषकर मणिपुर, त्रिपुरा और असम के पर्वतीय खेत्र लाभान्वित हुए हैं।

नरेन्द्र मोदी की सरकार की नीतियों के कारण ही पूर्वोत्तर में उग्रवादी गुटों के कारण हिंसा की आग से पूर्वोत्तर को बचाया जा सका। मोदी जी ने सशस्त्र गुटों से बातचीत की पहल शुरू की। 2014 से अब तक लगभग आठ हजार से अधिक उग्रवादी हथियार डालकर देश की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। 2014 की तुलना में 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी और सुरक्षा बलों में 60 प्रतिशत और आम नागरिकों की जनहानि में 89 प्रतिशत की कमी आई है।

पूर्वोतर की तरह कश्मीर भी अब अमन की राह पर है। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के हटने से पहले के 37 महीनों और बाद के 37 महीनों की तुलना करें तो आतंकी घटनाओं में 34 प्रतिशत और सुरक्षा बलों की मृत्यु के मामलों में 54 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

नागालैंड की राजा मिर्च, त्रिपुरा का कटहल पहुंचा विदेश, असम के लेमन का भी लंदन में निर्यात:

एपीडा की पहल से त्रिपुरा के कटहल को पहली बार एक स्थानीय निर्यातक के माध्यम से लंदन तथा नागालैंड के राजा मिर्च को लंदन में निर्यात किया गया। इसके अतिरिक्त, असम के स्थानीय फल लेटेकु को दुबई में निर्यात किया गया तथा असम के पान के पत्तों को नियमित रूप से लंदन में निर्यात किया जा रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के जीआई उत्पादों जैसे कि भुत जोलोकिया, असम लेमन आदि की तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ध्यान गया था। मोदी जी ने अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान इसका उल्लेख किया। असम लेमन का अब नियमित रूप से लंदन तथा मध्य पूर्व देशों को निर्यात होता है और 2022  तक 50 एमटी से अधिक असम लेमन का निर्यात किया जा चुका है। लीची तथा कद्दू की भी कई खेपें एपीडा द्वारा असम से विभिन्न देशों में निर्यात की जा चुकी हैं।

जम्मू-कश्मीर के हित में क्रांतिकारी  फैसले

अनुच्छेद 370 को खत्म करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का युगांतरकारी फैसला था। तब राज्यसभा में बहुमत न होने के बावजूद पीएम मोदी ने साबित कर दिखाया कि जो वो ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। उनका फैसला रंग ला रहा है।अनुच्छेद 370 को खत्म करने के ऐतिहासिक फैसले का ही परिणाम है कि जम्मू-कश्मीर अब सचमुच ही ‘स्वर्ग’ बनने की दिशा में अग्रसर है। न सिर्फ देशी-विदेशी पर्यटक, बल्कि दुनियाभर से इस साल आए 1.62 करोड़ पर्यटकों ने भी 75 साल का रिकार्ड तोड़कर धरती के स्वर्ग के साथ कदम से कदम मिलाए हैं।