लवजिहाद के माध्यम से सांस्कृतिक नरसंहार

लव जिहाद के माध्यम से सांस्कृतिक नरसंहार के अनेक भयावह उदाहरण performindia लव जिहाद के माध्यम से सांस्कृतिक नरसंहार के अनेक भयावह उदाहरण में भी दिये गये हैं।

अफताब का असली चेहरा प्रेमिका श्रद्धा के 35 टुकड़े कर 18 दिनों तक दिल्ली के जंगलों में बिखेरता रहा

लव जिहाद की भेंट चढ़ी एक और हिंदू बेटी, आफताब ने शादी से बचने के लिए श्रद्धा की हत्या के बाद किए 35 टुकड़े कर दिए गए।

आखिर कितनी बेटियां गंवाएंगे हम? #JusticeForAnkitaSingh pic.twitter.com/CTl38JxAvM

झारखंड के दुमका में अंकिता ने बात करने से मना किया तो शाहरुख ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी।

मंत्री गिरिराज सिंह ने 15 नवंबर को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि देश में लव जिहाद के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. लव जिहाद देश में एक मिशन बन गया है: गिरिराज सिंह

किसी मुस्लिम को हिन्दू लड़की से प्रेम हो जायेऔर वह उससे विवाह कर सुख शांति से अपना जीवन जिए इसे लव जिहाद कोई नहीं कहेगा। लव जिहाद के माध्यम से सांस्कृतिक नरसंहार के अनेक भयावह उदाहरण में भी दियेगये हैं। किसी मुस्लिम को हिन्दू लड़की से प्रेम हो जायेऔर वह उससे विवाह कर सुख शांति से अपना जीवन जिए इसे लव जिहाद कोई नहीं कहेगा।

इसके अनेक उदहारण बीजेपी में हैं। सिकंदर बख्त से लेकर शाहनवाज, नकवी, नजमा हेपतुल्लाह, एमजे अकबर …तक BJP में मुसलमान होना अकेलेपन की भावना न जनसंघ की स्थापना के समय और न अभी बीजेपी के समय पैदा होती है।

‘पद्म भूषण’ सिकंदर बख़्त, जो एक समय कांग्रेस में थे.  बख्त हफ्ते भर के लिए भारत के विदेश मंत्री भी रहे. ये पहले राज्यपाल थे केरल के, जिनकी पद पर रहने के दौरान मौत हो गई. ये वो मुस्लिम नेता थे, जिन्हें बीजेपी अपना फाउंडिंग मेंबर कहती थी। अभी भी केरल केराज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान हैं। सिकंदर बख्त ने भी ज्यादातर भाजपाई मुसलमान नेताओं की तरह एक हिंदू महिला से शादी की थी. राज शर्मा से उनके दो बेटे हुए. जिनके उन्होंने हिंदू नाम रखे, अनिल बख्त और सुनील बख्त।

पहले जनसंघ के और उसके बाद बीजेपी के मुस्लिम नेताओं ने हिन्दू महिला से विवाह किया क्या उसे कोई लव जिहाद कहेगा?

सांस्कृतिक नरसंहार एक अवधारणा है जिसे 1944 में वकील राफेल लेमकिन ने नरसंहार के एक घटक के रूप में प्रतिष्ठित किया था । हालांकि सांस्कृतिक नरसंहार की सटीक परिभाषा पर विवाद बना हुआ है . नरसंहार की कानूनी परिभाषा उस सटीक तरीके के बारे में अनिश्चित है जिसमें नरसंहार किया जाता है, केवल यह कहते हुए कि यह एक नस्लीय, धार्मिक, जातीय या राष्ट्रीय समूह को नष्ट करने के इरादे से विनाश है। 

डॉ. दिलीप कुमार कौल ने नेहा की लव स्टोरी  Book की समीक्षा करते हुए नरसंहार और सांस्कृतिक नरसंहार शीर्षक के अपने लेख में इस विषय पर उचित प्रकाश डाला है। संसार को जीनोसाइड जैसा शब्द देने वाले और संयुक्त राष्ट्र में जीनोसाइड के क़ानून लागू करवाने के लिए असाधारण संघर्ष करने वाले पोलिश वकील Rafael lemkin ने सांस्कृतिक नरसंहार पर विशेष बल दिया था। किसी देश का विध्वंस करना कितना घातक होता है लेम्किन ने स्पष्ट कर दिया था। उन्होंने कहा था कि संसार में उतनी ही संस्कृति और उतनी ही बौद्धिक शक्ति होती है जितनी उसमें उपस्थित सभी राष्ट्र मिलकर बनाते हैं। राष्ट्र के विचार की व्याख्या करते हुए वे कहते हैं कि राष्ट्र अनिवार्यतः लोगों के सहयोग और मौलिक योगदान से बनता है।

यह सहयोग और योगदान वास्तविक परंपराओं, वास्तविक संस्कृति और एक सुविकसित राष्ट्रीय मनोविज्ञान पर आधारित होता है। तो किसी राष्ट्र का विनाश, संसार को इसके भावी योगदान से वंचित कर देता है। सभ्यता के आधारभूत लक्षणों में से एक लक्षण है उन राष्ट्रीय विशेषताओं और गुणों की समझ और उनके प्रति सम्मान, जिनका योगदान विभिन्न देशों ने वैश्विक संस्कृति को दिया। इन विशेषताओं और गुणों को राष्ट्र की राजनीतिक या अन्य प्रकार की शक्ति संपत्ति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

कहना न होगा कि ईसाई और इस्लामी दोनों ही संस्कृतियां हिन्दू समुदाय,जिसकी भारत में युगों पुरानी परंपरा है, का अतिक्रमण करके उसका विनाश करके संसार के उसके योगदान से वंचित करने पर तुली हुई हैं। यह अतिक्रमण अनेक स्तरों पर होता है। https://www.indiaspeaksdaily.com/love-jihad-and-cultural-massacre/

Amit Srivastava March 31, 2016 https://hindupost.in/society-culture/1558/

अमित श्रीवास्तव ने भी अपनीक लेख मै इस विषय पर प्रकाश डेल हुए कहा है ,”संस्कृति का मानव सभ्यता से गहरा संबंध है। सभ्यता की आत्मा वहां की संस्कृति है। संस्कृति के खत्म होते ही सभ्यता का भी विनाश हो जाता है। इसका ज्वलंत  उदाहरण हमने यूनान, रोम और मिस्र आदि सभ्यताओं के विलुप्त होने में देख सकते हैं। लोग भले ही उन पुरानी सभ्यताओं में रहने वाले लोगों के ही वंशज हों, किन्तु आज वे सांस्कृतिक रूप से बिलकुल अलग हैं। इस प्रकार संस्कृति मानव सभ्यता की आत्मा है। वर्तमान समय के सभी वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियां इन पुरातन सभ्यताओं की ही देन है। विज्ञान, गणित व खगोल के लगभग सभी प्रारंभिक ज्ञान भारतीय, चीनी, यूनानी, एवं सभ्यताओं से लिए गए हैं।

वर्तमान समय में कई समृद्ध सभ्यताओं का वजूद खत्म हो गया है, और उनको समाप्त करने के पीछे संसार के दो सबसे बड़े इब्राहीमी पंथों – इस्लाम और ईसाई – के चरमपंथियों का सक्रिय योगदान है। इन पंथों की ऐसी प्रवृति के पीछे उनकी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा है। इस्लाम और ईसाई के अलावा दुनिया के किसी भी पंथ में पूरी दुनिया का धर्मपरिवर्तन कराने का उद्देश्य नहीं है। मुरुभूमि में जन्में इन दो पंथों ने धर्म के नाम पर जीतने लोगों को मारा है, उतने लोग किसी भी विश्व-युद्ध, आकाल या महामारी में नहीं मारे गए। लोगों को मारने के साथ साथ इन्होने वहाँ की संस्कृति का भी समूल नाश कर अपने पंथ को स्थापित किया। जिस प्रकार इस्लाम में गैर-मुस्लिमों को ‘काफिर’ जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया जाता है, उसी प्रकार ईसाईयों द्वारा सनातन धर्मियों को ‘पैगान’ कह कर नीचा दिखाया जाता है। वास्तव में इन दो पंथो जैसा धर्मांध, असहिष्णु तथा विस्तारवादी विश्व में कोई अन्य पंथ नहीं है..”

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By – Premendra Agrawal @premendraind